सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की पीठ ने नोटबंदी के मामले में दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार से सवाल किए हैं। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि एक व्यक्ति कितने पैसे बैंक से निकाल सकता है। अगले 10 से 15 दिनों में दिक्कतें दूर हो जाएंगीं। मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की पीठ ने नोटबंदी के मामले में सुनवाई के दौरान पूछा है कि एक व्यक्ति एक दिन में 24 हजार रुपये निकालने की लिमिट है। क्या कोई व्यक्ति इतनी रकम निकाल भी पा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से पूछा है कि जब वह यह योजना बना रहे थे तो क्या वह गुप्त थी? सुप्रीम कोर्ट ने सभी से बात करके सवालों की सूची तैयार की है और कहा है कि वो इस मामले में जनवरी से सुनवाई शुरु कर सकता है. जरूरत पड़ी तो इसके लिए पांच जजों की संविधान पीठ का गठन किया जा सकता है. साथ ही नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र से पूछा कि क्या इस मामले में कोई रिकार्ड है? नोटबंदी से पहले दिमाग लगाया गया कि इससे कितनी करेंसी वापस आएगी? कैसे नई करेंसी छापी जाएगी? क्या इसके लिए कोई योजना थी? सरकार को नोटबंदी के फैसले से क्या उम्मीदें थीं? इस पर कोर्ट ने सरकार से 14 दिसंबर तक जवाब देने के लिए कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से किए हैं ये सवाल
1. सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से पूछा है कि नोटबंदी का फैसला आरबीआई एक्ट 26 (2) का उल्लंघन है? इस एक्ट के मुताबिक केंद्रीय बोर्ड की मंजूरी से ही किसी सीरीज के नोटों को बंद करने का फैसला लिया जा सकता है।
2. क्या नोटबंदी को लेकर आठ नवंबर को जो फैसला लिया गया और उसके बाद का नोटिफिकेशन असंवैधानिक है?
3. नोटबंदी का फैसला संविधान के अनुच्छेद 14 में दिए दिए समानता के अधिकार और व्यापार करने की आजादी से संबंधित अनुच्छेद 19 जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है?
4. नोटबंदी के फैसला लेने से पहले कोई तैयारी नहीं की गई थी या फिर इसे लागू करने से पहले नए नोटों का सही इंतजाम नहीं गया था कि देशभर में कैश कैसे पहुंचाया जाएगा?
5. किसी भी व्यक्ति का बैंकों और एटीएम से पैसा निकालने की सीमा तय करना लोगों के अधिकारों का हनन है ?
6. क्या किसी जिला सहकारी बैंकों में पुराने नोट जमा करने और नए रुपये निकालने पर रोक सही है?
7. केन्द्र से यह भी पूछा है कि सुप्रीम कोर्ट में कोई राजनीतिक पार्टी जनहित याचिका दाखिल कर सकती है?
8. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से ये भी पूछा है कि धन निकालने की न्यूनतम सीमा निर्धारित की गई है तो फिर लोग यह धन क्यों नहीं निकाल पा रहे हैं?
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से AG मुकुल रोहतगी ने सवाल उठाया कि CPM जैसी राजनीतिक पार्टी कैसे जनहित याचिका दाखिल कर सकती है? चीफ जस्टिस ठाकुर ने कहा कि वो इस मामले की सुनवाई भी करेंगे. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया अब तक 12 लाख करोड़ की पुरानी करेंसी जमा हो चुकी है. वहीं पी चिदंबरम ने कहा कि जिस तरीके के इंतजाम हैं, उससे साफ है कि सरकार को नई करेंसी छापने मे पांच महीने का वक्त लगेगा.
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा था कि वह कोऑपरेटिव बैंकों की मांग पर विचार करे जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें बैंकिंग ऑपरेशन की इजाजत नहीं दी गई है. कोऑपरेटिव बैंकों की ओर से कहा गया है कि उन्हें बैंकिंग ट्रांजक्शन की इजाजत नहीं दी गई है इस कारण ग्राहकों को मुश्किल हो रही है और जो भी खाताधारक हैं उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है वो न तो पैसे निकाल पा रहे हैं और न ही जमा कर पा रहे हैं. सुनवाई के दौरान केरल और महाराष्ट्र के कोऑपरेटिव बैकों की ओर से कहा गया कि नोटबंदी के बाद बैंकिंग ऑपरेशन की इजाजत नहीं होने के कारण वह खाताधारकों को पेमेंट नहीं कर पा रहा है और पेंशन नहीं दे पा रहे हैं.याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट पी. चिदंबरम ने कहा कि देश भर में 371 कोऑपरेटिव बैंक हैं और इस कारण अर्थव्यवस्था पर असर हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट नोटबंदी मामले में अहम सुनवाई कर रहा है। 8 से 14 नवंबर के बीच जो पैसे जमा किए गए उनके बारे में क्या उपाय किया जाए. गांव से संबंधित इकोनॉमी बदहाली पर पहुंच चुकी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से कहा है कि आप बताएं कि इन्हें क्यों नहीं देख रहे हैं. तब अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इनके मामले को भी देखा जा रहा है लेकिन मुश्किल ये है कि कोऑपरेटिव बैंकों का इन्फ्रास्ट्रक्चर ठीक नहीं है. इनके पास नियमित बैंकों की तरह कंप्यूटराइजेशन से लेकर अन्य सुविधाएं नहीं है कि जाली नोटों की पहचान हो सके और ब्लैक मनी से बचाव हो सके. ऐसे में इसी कारण ही इन बैंकों को बैंकिंग ट्रांजक्शन से दूर रखा गया है.
इसी बीच अटॉर्नी जनरल ने तमाम केसों के ट्रांसफर का मुद्दा उठाया और कहा कि देश भर में रोजाना नोटबंदी मामले में पिटिशन फाइल हो रही है.
देश भर में ऐसे 70 अर्जी दाखिल हो चुके हैं, सुप्रीम कोर्ट में 15 अर्जियां दाखिल की गई है. ऐसे में तमाम मामले को एक हाई कोर्ट ट्रांसफर किया जाना चाहिए. इस पर चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि अदालतें होंगी और मामले होंगे तो कोर्ट में लोग आएंगे ही.
पीठ ने भावी सुनवाई के लिये विभिन्न विचारणीय कानूनी सवाल तैयार करने का प्रस्ताव रखा। इस पर रोहतगी ने नोटबंदी पर विभिन्न हाईकोर्ट में लंबित मामलों पर रोक लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया। पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर अगली सुनवाई में विचार किया जाएगा।
नोटबंदी के विभिन्न पहलुओं को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुये कोर्ट ने कहा था कि सभी पक्ष एक साथ मिलकर बैठें और मामलों को श्रेणीबद्ध करें जिन्हें हाईकोर्ट भेजा जा सकता है और जिनकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर सकती है।
अटार्नी जनरल ने कहा था कि सरकार को सहकारी बैंकों की स्थिति की जानकारी है जिनमें अधिसूचित बैंकों की तुलना में बुनियादी सुविधा और व्यवस्था का अभाव है। केन्द्र सरकार ने 24 नवंबर को नोटबंदी के मामले में न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल किया था और कहा था कि यह साहसी कदम आजादी के बाद से ही समानांतर अर्थव्यवस्था के रूप में गरीब और मध्यम वर्ग को प्रभावित कर रहा है और यह जमा और काला धन खत्म करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवंबर को दूसरी बैंकों की तरह ही सहकारी बैंकों को भी कारोबार की अनुमति देने के लिये केरल की 14 सहाकारी बैंकों की याचिकाओं पर भी सुनवाई के लिये सहमत हो गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दो दिसंबर को केन्द्र से कहा था कि ग्रामीण इलाकों में नागरिकों की परेशानियों और असुविधा को कम करने के लिये अब तक किये गये उपायों की जानकारी दी जाए।