नई दिल्ली .आप ‘दिशाहीन’ हो जेल-बेल के खेल में लगी जेबी संस्था में तब्दील,शाजिया ने भी नाता तोड़ा. निहित स्वार्थियो की चौकड़ी पार्टी को जकड़े हुए हैं, में संस्थापक सदस्य हूँ लेकिन में भी कुछ नहीं कह सकती, कहते हुए शाजिया इल्मी ने आम आदमी पार्टी (आप) से नाता तोड़ लिया है। उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। शाजिया पार्टी की प्रवक्ता और राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य थीं। कैप्टन गोपीनाथ ने भी आज ‘आप’ से इस्तीफा दे दिया। अमेठी से चुनाव लड़ चुके कुमार विश्वास भी पार्टी नेतृत्व से नाराज बताए जा रहे हैं।
पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि शाजिया कुछ वक्त से नाराज चल रही थीं। उन्होंने अपनी नाराजगी पहले राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जताई थी और चिट्ठी भी लिख चुकी हैं। योगेंद्र यादव ने कहा कि जब हमें पता चला कि वह इस्तीफा देने वाली हैं, तो हमने उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन दुख है कि वह हमारा साथ छोड़कर चली गईं। उन्होंने कहा कि शाजिया को सवाल उठाने का हक है, लेकिन उन्हें अरविंद के रिहा होने का इंतजार करना चाहिए था।
इससे पहले ‘आप’ नेता और दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री सोमनाथ भारती ने शाजिया इल्मी से उनके घर जाकर मुलाकात की थी और दावा किया था कि वह नाराज नहीं हैं।
शाजिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दुखी मन के साथ मुझे कहना पड़ रहा है कि जिस आंदोलन और पार्टी के साथ मैं शुरू से जुड़ी थी, उससे नाता तोड़ रही हूं। उन्होंने कहा, ‘स्वराज की बड़ी बड़ी बात करने वाली पार्टी में भी आतंरिक लोकतंत्र तक नहीं हैं, कुछ लोग पार्टी को जकड़े हुए हैं और सारे फैसले वे लोग ही ले रहे हैं। पार्टी में मेरी प्रासंगकिता नहीं रह गई थी, इसलिए मैंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया है।’
गाजियाबाद से हार को नाराजगी की वजह बताए जाने को खारिज करते हुए शाजिया ने कहा कि चुनाव में हार-जीत लगी रहती है। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान ही मुझे लगा कि ‘आप’ से नाता तोड़ लेना चाहिए, लेकिन इससे पार्टी को नुकसान होने की आशंका थी इसलिए मैं चुप रही।
‘आप’ की नीतियों पर सवाल उठाते हुए शाजिया ने कहा कि सनसनी से पार्टी को शुरू में कुछ फायदा हुआ होगा, लेकिन लगातार धरना-प्रदर्शन ठीक नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि क्या यह काफी है कि हम बार-बार कुछ कॉर्पोरेट हाउस और नेता का नाम उछालते रहें? शाजिया ने कहा कि पार्टी दिशाहीन हो गई है और जेल-बेल की राजनीति में लग गई है।
‘आप’ के संयोजक अरिवंद केजरीवाल के पर्सनल बॉन्ड न भरने से असहमति जताते हुए कहा कि जेल में आत्मचिंतन करने के बजाय उन्हें चौकड़ी से मुक्त होकर लोगों के बीच में जाना चाहिए और आत्ममंथन करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मेरे दिल में अभी भी बिना स्वार्थ के काम कर रहे कार्यकर्ताओं के लिए काफी इज्जत है।
शाजिया से जब पूछा गया कि इस चौकड़ी में कौन-कौन लोग हैं, तो उन्होंने किसी का नाम लेने से इनकार कर दिया और कहा कि पार्टी में एक गेट है और लोग उसके पार नहीं जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि मैं पार्टी की संस्थापक सदस्य हूं, लेकिन मैं भी अरविंद तक नहीं पहुंच सकती।