दिव्य आनंदोत्सव सिंहस्थ महाकुम्भ उज्जैन,मोक्षदायिनी माँ क्षिप्रा के पवित्र तट पर अक्षय तृतीया महापर्व का शुभ और कल्याणकारी महा अमृत स्नान, दसो दिशाओ से महादेव रुपी देव ऋषि साधको संतो का अथाह जन समुद्र सनातन संस्कृति का महापर्व अक्षय तृतीया,
सिंहस्थ महाकुम्भ महापर्व पर मोक्षदायिनी क्षिप्रा के पवित्र जल में महाअमृत स्नान करने
महाकाल की उज्जयिनी पधारे श्रद्धालु भक्तो का ह्रदय के अंतरतम से अभिवंदन,
जहाँ जहाँ तक दृष्टि की सीमाये हे
केवल और केवल 33 करोड़ देवी देवताओं यक्ष गन्धर्व किंनर राक्षस दैत्य अवधूत और अन्यान्य प्रकार के विभूति सम्पन्न तत्वों ने
,
मानव रूप में अवंतिका की धरा पर महादेव शिव के अकल्पनीय
अद्भुत विवाह के लघुरूप सा दृश्य उपस्थित कर दिया,
लाखो लाख जनसमुदाय ब्रह्म तत्व का अमृत पान करने इस प्रतिकल्पा भूभाग पर ,
सुविधा असुविधा लाभ हानी की दुश्चिंता से मुक्त होकर, शुभ संकल्पों से युक्त होकर,
स्थितप्रज्ञ परमहंस भाव प्राप्ति का आनंद मना रहे हे, जो भी घटित दिख रहा हे वह अवर्णीय अलौकिक ईश्वरीय हे, इस दिव्य तीर्थ को पुण्य प्रणाम ।
महाकाल जो भी घटित करते हे उसमे कोई न कोई शुभता और कल्याण निहित हे, सनातन धर्मावलम्बी भीषण तपती बैशाख मास की धुप में नंगे पैर कई मील पैदल चल संघर्ष कर ,
अनेकों बाधाओ को पार कर केवल और केवल एक ही लक्ष्य था,
वो कामना कर रहा था की मुझे पवित्र अमृतमयी क्षिप्रा में किसी भी तरह दिव्य स्नान कर,
महाकाल के दर्शनों का सोभाग्य मिले,
उन वास्तविक तपस्वियों के वेश में महाशिव महाकाल पधारे,
और उनके दर्शन करने मात्र से,
इस पवित्र धरा पर चरण पड़ने मात्र से युगो युगो से
पूजित पुण्य भूमि भी धन्य हो गयी,
महा कुम्भ सिंहस्थ का आनंदोत्सव जारी हे,
25 लाख नंगे पैर तपस्वियों साधको को प्रणाम !