सिंहस्थ महाकुम्भ महापर्व 2016 की समस्त तैयारियो को व्यवस्थाओ को कमिश्नर रविन्द्र पस्तौर, कलेक्टर कवीन्द्र कियावत, आईजी जनार्दन, एसपी मनोहर वर्मा, मेलाधिकारी अविनाश लवानिया और उनकी टीम ने अंतिम रूप प्रदान किया. सिंहस्थ क्षेत्र ही नहीं आसपास ये कहे की प्राचीन अवंतिका राज्य के चंहु और चप्पे चप्पे पर शानदार चाकचौबंद व्यवस्था करने का प्रयत्न किया हे. अमृत महास्नान हेतु लाखो लाख की संख्या में श्रद्धालु भक्त साधू संत महात्मा ज्ञानी ध्यानी और गुरुजन विश्व के इस सबसे बड़े समागम महाकुम्भ महा मेले में सम्मिलित होने के लिए उमड़ पड़े हे. जबकी कि ये तो पहला अमृत स्नान हे. देखा जाये तो इस बार सिंहस्थ नासिक कुम्भ के पश्चात् संतो के उज्जैम में तैयारियो को लेकर पड़ाव करने और एक दो वर्षो से देश विदेश में लगभग हर प्रकार के मीडिया में ब्रांडिंग हेतु किये गए अथक योजनाबद्ध प्रयासों से, मुक्त हस्त से अरबो रू व्यय कर सरकार द्वारा मेला क्षेत्र् और आसपास के नगरो में भी की गयी उपयोगी अधोसरंचनात्मक व्यवस्थाओ की माउथ पब्लिसिटी से आकर्षित हो उज्जैन सिंहस्थ महापर्व समय से एक दो माह पूर्व ही प्रारम्भ सा हो गया. इसके असफल होने की आशंका की समीक्षा इस बार जितनी बार हुयी शायद उससे पहले किसी सिंहस्थ में नहीं हुयी.इससे निसंदेह प्रशासनिक नेतृत्व को अपनी व्यवस्थाओ को और बेहतर बनाने की चुनोती लगातार बनी हुयी हे, और यही इसकी सफलता की ऊर्जा भी हे.
सिंहस्थ महाकुम्भ महापर्व बैसे तो हर पहलू से नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा हे और स्वयं मुख्यमंत्री और प्रभारी मंत्री की भी हर निर्णय में सीधी भूमिका हे, पर शासन की इच्छाओ को स्वीकार्य ढंग से मूर्तरूप देना, प्रत्येक ऐसे उपाय करना जिससे व्यवस्था बने और शासन को यश मिले वो समझना , की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासनिक नेतृत्व की हे और इस सबके पीछे जिस व्यक्ति के सरल सादगीपूर्ण नेतृत्व में प्रत्येक उज्जैनवासी को पूर्ण विश्वास हे, उसने अहंकार रहित होकर तमाम बाधाओ चुनोतियो को प्रशासनिक टीम को साथ लेकर बखूबी अंजाम तक पहुँचाया, वह तपस्वी की भाँती एक समग्र साधक चिंतक रणनीतिकार कमिश्नर रविन्द्र पस्तौर हे. जिन्होंने समय का अभाव होने पर भी , टीम बिल्डिंग और हाईटेक प्रबंध के द्वारा वो सव क्रियान्वित कर दिखाया जिसे सब लोग लगभग असंभव समझते थे. प्रशासनिक दुनिया के लोगो तो सिंहस्थ उज्जैन के अन्तराष्ट्रिय ब्रांड बनने पर भी यकीन नहीं हो रहा हे. किन्तु आज तो सत्य और सामयिक यथार्त यही हे. यही हे नए आधुनिक प्रबंधकीय दृष्टिकोण से परंपरागत प्रशासनिक जगत को नयी ऊंचाईयो तक पहुचना. देश विदेश से अनेको विश्विद्यालयो से प्रबंधन गुरु आज उज्जैन सिंहस्थ महाकुंभ महापर्व ब्रांड इवेंट के विभिन्न् आयामो का अध्ययन मनन चिंतन करने कुछ सीखने विद्यार्थियो की भांति आ रहे हे और फिर से बना रहे हे उज्जयिनी को सीट ऑफ लर्निंग ऐंड जजमेंट.