नई दिल्ली नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या ने कहा कि लंबी अवधि में सरकार के नोटबंदी के फैसले का अर्थव्यवस्था पर काफी सकारात्मक असर होगा क्योंकि इससे लोगों का रुझान डिजिटल लेनदेन की ओर बढ़ेगा। पनगढ़िया ने भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) द्वारा आयोजित वैश्विक ऊर्जा परिचर्चा पर आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर कहा, ‘आपको नोटबंदी का असर लंबी अवधि में नजर आएगा जो काफी सकारात्मक होगा।’
जबकि सरकार की टेक्स नीतियां ही कैशलेश प्रणाली के प्रतिकूल हे।
डेबिट और क्रेडिट कार्ड से खरीदारी पड़ सकती है आपकी जेब पर भारी, देना होता है एक्स्ट्रा चार्जसरकार विमुद्रीकरण (Demonetisation) के बाद कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने की कोशिश तो कर रही है लेकिन यह नकद लेन-देन के मुकाबले महंगा पड़ रहा है। विमुद्रीकरण के बाद से कैशलेस पेमेंट करने से घरेलू बजट में इजाफा ही हुआ है। दरअसल, कैशलेस ट्रांजैक्शन हमेशा ही बिना शुल्क नहीं होता। और इस पर भारी भरकम सर्विस चार्ज अलग से ।
95 फीसदी ट्रांजैक्शन नकद में किए जाते हैं
- जेएम फाइनेंशियल की एक रिपोर्ट पर भरोसा करें तो देश में उपभोक्ता लेन-देन के कुल वॉल्यूम का लगभग 95 फीसदी नकद में किया जाता है।
- कुल लेन-देन के मूल्य का 65 फीसदी कैश में ही किया जाता है। भारत में कैश और जीडीपी का अनुपात 12 फीसदी से अधिक है।
- भारतीय रिजर्व बैंक के मार्च 2016 के आंकड़ों के अनुसार, भारत की कुल मुद्रा में 86.4 फीसदी हिस्सेदारी 500 और 1000 रुपए के पुरानो नोटों की थी।
- विमुद्रीकरण के बाद नोटों की कमी के कारण रोजमर्रा के खर्च प्रभावित हो रहे हैं। एटीएम और बैंकों में लगने वाली लंबी लाइनें इस बात को साबित करती हैं कि नकदी की लोगों को कितनी जरूरत है।